The Art of Laziness Book: आज की दुनिया में हर कोई भाग रहा है। हर किसी को जल्दी है काम करने की, पैसे कमाने की और दूसरों से आगे निकलने की। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या ये भागदौड़ वाकई ज़रूरी है? क्या हमेशा बिजी रहना सही मायनों में प्रोडक्टिव होना है? “The Art of Laziness” नाम की किताब कुछ ऐसा ही सवाल उठाती है – और बेहद सरल लेकिन दमदार जवाब देती है।
यहां हम आपको इस किताब से जुड़े 8 आसान लेकिन असरदार सबक बताएंगे, जो आपकी ज़िंदगी को बेहतर बना सकते हैं।
क्या है The Art of Laziness Book में?

“The Art of Laziness” एक दमदार self-help book है जिसे ‘Library Mindset’ ने लिखा है। यह किताब आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ठहरने और सोचने की बात करती है। इसमें बताया गया है कि हर वक्त बिजी रहना प्रोडक्टिव होना नहीं होता। आराम करना कोई आलस नहीं बल्कि ज़रूरी हिस्सा है एक अच्छी ज़िंदगी का।
किताब सिखाती है कि समझदारी से काम करना, ‘ना’ कहना, काम को टालना नहीं बल्कि सही वक्त पर करना ही असली सफलता की कुंजी है। यह hustle culture को तोड़कर slow और smart living का मैसेज देती है।
अगर आप हर वक्त थके रहते हैं और काम से उब चुके हैं, तो ये किताब आपकी सोच बदल सकती है। कम मेहनत, ज़्यादा फोकस और सुकून से जीना – यही है “The Art of Laziness” का असली मैसेज।
1. बिजी रहना मतलब प्रोडक्टिव होना नहीं है
हम अक्सर सोचते हैं कि जो इंसान दिनभर काम में लगा रहता है, वो बहुत मेहनती है। लेकिन हकीकत ये है कि मेहनत और समझदारी से किया गया कम समय का काम, घंटों की मेहनत से बेहतर हो सकता है।
2. आराम कोई आलस नहीं, ज़रूरत है
किताब कहती है कि आजकल लोग बिना रुके, बिना थमे काम करते हैं और फिर थककर टूट जाते हैं। लेकिन ज़रूरी है कि हम अपने रूटीन में ब्रेक लें, नींद पूरी करें और खुद को समय दें।
3. स्मार्ट वर्क से पाएं असली एफिशिएंसी
हर काम एकसाथ करने की ज़रूरत नहीं है। बेहतर यही है कि पहले यह तय करें कि सबसे ज़रूरी काम क्या हैं और फिर उन्हें धीरे-धीरे करें।
4. ‘ना’ कहना भी एक Art है

हर काम को हां कह देना सिर्फ थकावट और स्ट्रेस देगा। कभी-कभी ‘ना’ कहना भी बहुत ज़रूरी होता है – ताकि आप अपनी सीमाएं समझ सकें और अपना मानसिक संतुलन बनाए रख सकें।
5. To-Do List पर जीना ज़रूरी नहीं
लोग हर दिन लिस्ट बनाते हैं – करना है ये, करना है वो। लेकिन ज़िंदगी सिर्फ लिस्ट पूरी करने के लिए नहीं है। ज़िंदगी जीने के लिए है।
6. गलती करना गलत नहीं, बार-बार करना है
किताब बताती है कि हर इंसान से गलती होती है, लेकिन असली समझदार वही है जो उसी गलती को दोबारा ना दोहराए।
7. लाइफ में पेशेंस और आलस में फर्क है
अगर आप कोई काम टाल रहे हैं और कह रहे हैं कि ‘मैं सही वक्त का इंतज़ार कर रहा हूं’, तो जरा सोचिए – आप सच में पेशेंस में हैं या सिर्फ आलसी?
8. धीमी ज़िंदगी भी खूबसूरत हो सकती है
किताब का सबसे खूबसूरत मैसेज यही है – तेज़ नहीं, धीरे चलो… लेकिन सही दिशा में। न ही हर दिन hustle करने की ज़रूरत है, न ही हर काम जल्दी करने की।
पाठकों को क्यों पसंद आई ये किताब?

“The Art of Laziness” को लोगों ने इसलिए पसंद किया क्योंकि यह hustle culture के उलट बातें करती है। ये सिखाती है कि धीरे चलना, रुकना और सोच-समझकर काम करना – ये सब भी सफलता के रास्ते हैं।
आज के दौर में जब हर कोई टाइम मैनेजमेंट, टारगेट और डेडलाइन की बात करता है, ये किताब एक गहरी सांस लेने जैसा है। इसमें बताया गया है कि खुद को थकाकर सफलता नहीं मिलती, बल्कि समझदारी से चलकर मिलती है।
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