Chronic Fatigue Syndrome: क्या आप हमेशा थके-थके महसूस करते हैं? क्या आराम करने के बाद भी आपको राहत नहीं मिलती? अगर हां, तो यह सिर्फ आम थकान नहीं बल्कि Chronic Fatigue Syndrome (क्रोनिक फटीग सिंड्रोम) हो सकता है। यह कोई छोटी-मोटी बीमारी नहीं है, बल्कि एक ऐसी हेल्थ प्रॉब्लम है जो आपकी पूरी जिंदगी को प्रभावित कर सकती है।
क्या होता है Chronic Fatigue Syndrome?

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम यानी CFS एक ऐसी हालत होती है जिसमें इंसान को लंबे समय तक थकान महसूस होती है। थकान इतनी ज्यादा होती है कि इंसान ठीक से काम भी नहीं कर पाता। यह थकान आराम करने या सोने के बाद भी दूर नहीं होती। इसे मेडिकल भाषा में Myalgic Encephalomyelitis (मायलजिक एन्सेफेलोमायलाइटिस) भी कहा जाता है।
यह बीमारी ज्यादातर 40 से 60 साल की उम्र के लोगों में देखी जाती है, लेकिन कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो सकते हैं। रिसर्च के मुताबिक, यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है।
CFS के लक्षण (Symptoms of Chronic Fatigue Syndrome)

अगर आपको लगातार नीचे दिए गए लक्षण नजर आ रहे हैं, तो यह क्रोनिक फटीग सिंड्रोम हो सकता है:
हमेशा थकान महसूस होना
आराम करने के बाद भी शरीर भारी लगना
याददाश्त कमजोर होना या ध्यान लगाने में दिक्कत
सिर में दर्द या गले में खराश
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
चलते समय चक्कर आना या लेटने पर बेचैनी
नींद की समस्या या रात भर नींद न आना
गले या बगल में लिम्फ नोड्स (गांठें) का सूज जाना
थोड़ी सी मेहनत करने पर बहुत ज्यादा थकान महसूस होना
इनमें से अगर 3 या उससे ज्यादा लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें।
CFS क्यों होता है?
इस बीमारी के पीछे कई वजहें हो सकती हैं, जैसे:
1. वायरस का असर
कुछ मामलों में वायरस से होने वाले संक्रमण के बाद यह बीमारी शुरू हो जाती है। जैसे – फ्लू, हर्पीस वायरस आदि।
2. कमजोर इम्यून सिस्टम
अगर आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कमजोर है, तो आप जल्दी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
3. हार्मोनल बदलाव
शरीर में कुछ हार्मोन कम या ज्यादा हो जाएं, तो यह दिक्कत हो सकती है। जैसे – thyroid या तनाव से जुड़े हार्मोन।
4. मानसिक या शारीरिक आघात
कोई गंभीर एक्सीडेंट, ट्रॉमा या डिप्रेशन जैसी मानसिक हालत भी इसका कारण बन सकती है।
5. महिलाओं में ज्यादा खतरा
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव अधिक होते हैं, इसलिए उनके CFS से पीड़ित होने की संभावना ज्यादा होती है।
CFS का पता कैसे चलता है?
CFS की पहचान करना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लिए कोई खास टेस्ट नहीं होता। डॉक्टर आमतौर पर इन बातों की जांच करते हैं:
आपकी और आपके परिवार की हेल्थ हिस्ट्री
हाल में हुई कोई बीमारी या इन्फेक्शन
नींद से जुड़ी आदतें
मानसिक और शारीरिक स्थिति
कुछ खून और पेशाब की जांचें
जरूरी हो तो डॉक्टर MRI, थायरॉइड टेस्ट, शुगर टेस्ट या अन्य टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं ताकि दूसरी बीमारियों को बाहर किया जा सके।
CFS से कैसे बचा जा सकता है?

इस बीमारी से बचाव के लिए कोई गारंटीशुदा तरीका नहीं है, लेकिन कुछ आदतें अपनाकर इसे रोका जा सकता है:
- हर दिन का एक रूटीन बनाएं और उसे फॉलो करें
2. तनाव कम करें और पॉजिटिव सोचें
3. सोशल मीडिया या स्क्रीन टाइम कम करें
4. रोज़ाना थोड़ी देर खुली हवा में टहलें
5. अपने शरीर की सुनें – थकावट लगे तो थोड़ा रुकें और आराम करें
लाइफस्टाइल में बदलाव
- हेल्दी डाइट लें – ताजे फल, सब्जियां, दालें, दूध आदि खाएं
- रोज हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें – जैसे वॉकिंग या योग
- पूरी नींद लें – नींद पूरी न होने से थकान और बढ़ती है
- स्ट्रेस से बचें – मेडिटेशन, ध्यान या म्यूजिक से मदद मिल सकती है
Disclaimer: यह लेख सिर्फ जानकारी देने के लिए है। किसी भी तरह की दवा या इलाज के लिए हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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