Stop Overthinking During Meditation: मेडिटेशन के दौरान भटकता है मन, इन 6 तरीकों से तुरंत शांत होगा दिमाग

Overthinking During Meditation: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हमारा दिमाग हर वक्त किसी न किसी चीज़ में उलझा रहता है। ऐसे में जब कोई कहता है कि “मेडिटेशन करो”, तो ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि ये बहुत मुश्किल और बोरिंग काम है। कोई कहता है मेडिटेशन का मतलब है एकदम चुप बैठना, कुछ ना सोचना, मन को बिल्कुल खाली करना। लेकिन क्या वाकई मेडिटेशन ऐसा होता है?

असल में, मेडिटेशन कोई जादू नहीं है, बल्कि ये एक साधारण अभ्यास है, जो हमें अपने मन को थोड़ा समझने, थामने और संभालने में मदद करता है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि जब आप मेडिटेशन करते हो तो मन इधर-उधर क्यों भागता है, और उसे रोकने के आसान तरीके क्या हैं।

1. Stop Overthinking During Meditation: पहले दिन से कमाल की उम्मीद मत रखो

जैसे आप पहले दिन जिम जाकर भारी-भरकम वजन नहीं उठा सकते, वैसे ही मेडिटेशन भी एक दिन में नहीं आता। ये धीरे-धीरे सीखा जाता है। शुरुआत में बस इतना करना है कि जब भी ध्यान करो, तो सांस पर ध्यान दो। जैसे जिम में पहले 1 किलो के डम्बल से शुरुआत करते हैं, वैसे ही ध्यान में भी खुद पर नरमी से शुरुआत करनी चाहिए।

खुद की तुलना उन लोगों से मत करो जो सालों से ध्यान कर रहे हैं। अपने मन को वापस सांस पर लाने की आदत डालो, बस।

2. मन भटके तो घबराओ नहीं – ‘पानी जैसा’ बनो

ब्रूस ली ने कहा था – “Be like water” यानी पानी जैसा बनो। पानी बहता है, रुकता नहीं। मेडिटेशन में भी यही तरीका काम आता है।

जब भी ध्यान करते वक्त आपका मन किसी सोच में भटकने लगे – कोई पुरानी याद, टेंशन या चिंता – तो खुद को डांटो मत। बस उस सोच को पहचानो और धीरे-धीरे ध्यान वापस अपनी सांस पर ले आओ। ये बिल्कुल सामान्य है। मन का काम ही है सोचना। आपको बस इतना करना है कि आप उस सोच के साथ बहने मत लगो, बल्कि उसे देखकर छोड़ दो।

3. बहते पानी में पड़ा हुआ पत्थर बनो

कभी आपने देखा है कि नदी में एक बड़ा पत्थर पड़ा होता है, उसके चारों तरफ पानी बहता रहता है, लेकिन पत्थर टस से मस नहीं होता। ध्यान भी ऐसा ही है।

सोचो आप उस पत्थर की तरह हो। आपके चारों तरफ बहुत सारी आवाज़ें, सोचें, टेंशन और उलझनें बह रही हैं, लेकिन आप अंदर से शांत हो। इन सबको देखो, लेकिन खुद को उन चीज़ों में बहने मत दो।

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4. अपने इंद्रियों को ध्यान में शामिल करो

अब बात करते हैं एक आसान और मज़ेदार ध्यान के तरीके की – इंद्रियों से ध्यान।ध्यान की शुरुआत में सबसे पहले आप आराम से बैठ जाएं – चाहे ज़मीन पर पालथी मारकर या कुर्सी पर। अब आंखें बंद करें और एक-एक करके अपनी सभी इंद्रियों पर ध्यान दें।सूंघना – सांस लेते वक्त अपने आसपास की खुशबू को महसूस करें। कुछ नहीं सूंघ पा रहे? कोई बात नहीं।

स्वाद – मुंह में जो भी स्वाद है, उसे बस महसूस करें। कुछ भी सोचें या जज न करें।

छूना – हाथ कहां हैं, आपके कपड़ों का एहसास, हवा की ठंडक, इन सबको महसूस करें।

सुनना – आसपास की आवाज़ों को बस सुनें। कुछ आवाज़ें तेज़ होंगी, कुछ धीमी। सबको बस नोटिस करें।

देखना (आंखें बंद रहने पर भी) – आंखें बंद होने के बावजूद जो भी आभास दिख रहा है, जैसे रौशनी की हल्की चमक, उस पर ध्यान दें।

हर इंद्री को कुछ सेकंड दो और फिर धीरे-धीरे एक से दूसरी पर जाओ। आपका ध्यान अपने आप इन इंद्रियों की मदद से वर्तमान में टिकने लगेगा।

5. मन भटके तो फिर से लौट आओ

ध्यान में सबसे ज़रूरी बात ये है – जब भी मन भटके, तो डरना नहीं, शर्मिंदा नहीं होना। बस ये समझो कि ये तो होना ही था। फिर धीरे से ध्यान वापस अपनी सांस या शरीर की भावना पर ले आओ।

ऐसा बार-बार होगा, और यही ध्यान की असली प्रैक्टिस है। जितनी बार आपका ध्यान भटकेगा, उतनी बार उसे वापस लाना, वही असली ध्यान है।

6. ध्यान की छोटी-छोटी जीतों को मानो

शुरुआत में ध्यान मुश्किल लग सकता है, लेकिन जैसे-जैसे आप रोज़ थोड़ा-थोड़ा अभ्यास करते हो, वैसे-वैसे आप महसूस करने लगते हो कि अब आप अपने मन को थोड़ा ज्यादा कंट्रोल कर पाते हो।

थोड़ी-थोड़ी देर के लिए भी अगर आप शांति महसूस करें, या अपने विचारों को पहचान पाएं, तो खुद को शाबाशी देना मत भूलो। यही ध्यान का असली फायदा है। यदि आप सुबह जल्दी उठकर ध्यान करते हैं तो यह और भी फायदेमंद साबित होता है।

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